Wednesday, August 4, 2021

रितु गुलाटी जी_ हिंदी मुहावरे बड़े बावरे

                                 

विषय.. हिंदी मुहावरे बडे बावरे

विधा.. लघुकथा

दिनांक..27-7-21

मुहावरे से बनी लघुकथा..

जब मैं रीमा से मिली उसके घर की हालत#उधड़े स्वैटर जैसी थी।वो अपनी माँ की#आँखो का तारा थी।पर अपनी सासू से उसका#छत्तीस का आक़डा था।उसे अपनी सासू की बाते#आलपिन की तरह चुभती मगर फिर भी वो चुप रहकर उससे#आँखे चुराती रहती। माँ रीमा की#आँखो में नौ-नौआँसू देख दुखी हो जाती। रीमा को वो#काठ का उल्लू बनने से रोकती।फिर भी रीमा चुपचाप #आँखे गीली किये रहती और भीतर ही भीतर#गीली लकड़ी की तरह #सुलगती रहती।

स्वरचित

रीतूगुलाटी. ऋतंभरा

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