# नमन मंच
# साहित्य पोथी
# विधा : गीत
# विषय : तकदीर(हिंदी मुहावरे बड़े बावरे)
# दिनांक :२७/०७/२१,
# दिन बुधवार
बिना मेहनत कभी ये तक़दीर न बनती
तक़दीर तो परिश्रम से सदा ही बदलती
भाग्य भरोसे जीवन की गाड़ी न चलती
तक़दीर सदा श्रमसाधकों का साथ देती
आखिर कब तक छाती पर मूंग दलोगे
थोड़े बहुत ही पुरुषार्थ तो तुम कर लो
हां ठोकर लगेगी जिस दिन ही तुम को
अक्ल ठिकाने पर आयेंगे और सोचोगे
आसमान पर यदि हो दिमाग किसी का
कार्य कदापि भी नहीं सिद्ध हुआ करते
माना कि चिकने घड़े सदृश हो तुम तो
अतएव टस से मस तुम कभी नहीं होगे
बहुत ख़ाक छानने पड़ते इस जीवन में
तब जाकर ही कहीं नौकरी तुम पाओगे
सहज़ नहीं, एड़ी चोटी का ज़ोर लगाके
तभी बमुश्किल ही कोई नौकरी पाओगे
नौकरी पाना भी सरल नहीं टेढ़ी खीर है
अंधे की लकड़ी तुम ठहरे मात-पिता के
अपने पैरों पर जिस दिन खड़े होओगे
तब जाकर ही उन आंखों के तारे बनोगे
अपने मुंह मियां मिट्ठू बन कर तुम तो
मानो सब कुछ गुड़ गोबर कर डालोगे
नाक भौं मत सिकोड़ो मुझ पर तनिक
वर्ना तीन तेरह होकर तुम रह जाओगे
अभी तो तुमको किंचित एहसास नहीं
जब तक घर में तुम्हें भोजन हैं मिलते
आटा दाल के भाव तुम्हें तब ज्ञात होंगे
जिस दिन तुम्हारे नाक में नकेल पड़ेंगे
मान लो अब भी अच्छी बात मेरी तुम
अन्यथा कल तुम फिर बगलें झांकोगे
मुंह की खाकर तुम बहुत पछताओगे
और अपना सा मुंह लेकर रह जाओगे
राजीव भारती
पटना बिहार (गृह नगर)
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