#मंच को नमन
विषय- हिंदी मुहावरे बडे़ ही बावरे
विधा- कविता
अगर-मगर न करों यहाँ पर
साँच को होती आँच कहाँ
उल्टी गंगा वहाँ पर बहती
नाच न जाने आँगन टेढा़ जहाँ।।
चिकनी-चुपडी़ बातें करते
चोर की दाढी़ में तिनका जहाँ
बातों से वो पेट है भरते
बिन सेवा मेवा मिलें जहाँ।।
दाम बनाते काम सभी के
तुरन्त दान कल्याण जहाँ
जितना गुड़ डालोगे मीठा होगा
होगें दोनों हाथ में लडडू वहाँ।।
सच्चाई पर टिके मुहावरे
बावरों में वो समझ कहाँ
दूध का जला छाछ फूँक-फूँककर पीता
समझ आये तब वक्त कहाँ ।।
स्वरचित व मौलिक रचना
फूल सिंह, दिल्ली
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