Wednesday, August 4, 2021

किरण पांडेय_ हिंदी मुहावरे बड़े बावरे

                 

               

नमन मंच साहित्य पोथी

विषय मुहावरे बडे़ बावरे

दिनांक 28.7.2021

विधा कविता

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तुम खून पसीने एक करो

मैं खाक छानते रहती हूँ! 

काम जरा तुम नेक करो

देखो ना  ..... 

मनुष्य गिरगिट सा रंग बदलता है! 


दांतों तले चने चबवाने हैं

गद्दारो की खाट खड़ी करवाने हैं

फिर शत्रु के छाती पर सांप लोटेगें

उनके रेतों का महल गिरायेंगे! 


नाक के बाल नहीं, तुम आम नहीं

फिर गिदड़ भभकी क्यों डरायेगी! 

तिल को ताड़ बनाना छोड़ो

खुशी वरना नौ दो ग्यारह हो जायेगी! 


चूहे बिल्ली में है बैर नहीं

पर निकल आये चींटी के देखो

दांत उनके भी अब होंगे खट्टे

पानी में रह मगर से जो बैर करेंगे! 


किले रेत के मुबारक उनको

जो पल पल घुटने पर आते हैं

हम तो गागर में सागर भरते हैं

ख्याली पुलाव नहीं पकाते! 


बनना है तो गले का हार बनो

सवारी गर्दन की ठीक नहीं

घुटने टेक तो सभी देते हैं

कंगले की खुद्दारी ठीक नहीं! 


     किरन पाण्डेय

      स्वरचित

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