अहा धरित्रि !
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मंद मंद बह रहा समीरण बाग़, खेत,खलिहान में !
यह मलयानिल ,स्निग्ध, सुगंधित, विचरे सकल जहान में!
आर्तनाद कर रही, मनुजता, विकल हो
रहा नभ है।
वसुंधरा के अश्रु बहाते देख, मेरु हतप्रभ है।
हिन्द महा सागर में उठता ज्वार, कह रहा,
सबसे ,
करो नया प्रारम्भ, प्रयत्न, न भूल हो सके
अब से।
संप्रभुता पर आंच न आवे,भारत वर्ष, सफल हो ।
हर प्रदेश, हर प्रांत,शान्ति के लिए, नित्य
अटल हो।
शत्रु देश के साथ, करें व्यवहार, सजग हो
नित ही।
ध्यान रहे, विस्मृत ना हो, निज राष्ट्र का हित ही।
है मानवता,सकल जगत को, यही निवेदन
करती।
सदा प्रेम बंधुत्व भाव से, भरी रहे यह धरती।।
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स्वरचित एवम् मौलिक
आवृत्ति पद्म मुख पंडा
ग्राम महा पल्ली पोस्ट लोइंग जिला रायगढ़ छ ग
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