............"यक्ष प्रश्न"...........
जग की रीति निराली ,
पकायें पुलाव ख्याली ।
गर निज मेहनत रंग लाई ,
"मै हूँ ना" आ जतायें ठकुराई ।
गर श्रम हो जाये निष्फल ,
कहन लगे "मै ना था" कल ।
बन चौधरी आग लगायें ,
जतन पर पानी फेर जायें ।
भरम है या भरमाया गया ,
धूमिल "यक्ष प्रश्न", हो कहां धर्म पुत्र ।।
अजय अग्रवाल"पप्पी"...स्वरचित.मौलिक ...ग्वालियर मध्यप्रदेश
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