Tuesday, August 3, 2021

प्रांजली काव्या_ हिंदी मुहावरे बड़े बावरे

 मुहावरा कवित्त

"अढाई चांवल की खिचड़ी पकाई"

अपने "पांव खुद कुल्हाड़ी चलाई"

"अपना सा मुंह  "  लेकर भैय्या

महामाई की जै मनाई।


" टेढी उंगली से घी निकालना "

  बन गया जब " टेढ़ी  खीर  "

लल्लू ये कैसै भूल गये तुम

" बार बार नही लगता निशाने पे तीर " 


"आटे-दाल का भाव समझ गए " 

"लौट के बुदधु  घर को गए   "

" एक एक ग्यारह बताने वाले  "

आज खुद " नौ दो ग्यारह हो गए " 


"  एक हांथ से ताली बज न पाई  "

" अपनी ऐसी - तैसी कराई " 

"  काठ की हांडी फिर चढ न पाई " 

कहने लगे. ". भैय्या राम दुहाई. "


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